तुम्हारी आंखों में बसी है
मासूमियत सारे जहा की
काजल से उन्हें क्या सजाना
वो तो खूबसूरती की पहचान है
दिल का तूफ़ान लेकर प्यार में
बरसता बादल बन जाऊं..
हसरत मेरी है कि आंखों का
तेरी काजल बन जाऊं..
तेरे आने से ये शाम और खूबसूरत बन जाती हैं
फिजा भी रंग बदलती है जब तू आंखों में काजल लगाती हैं
"मेरा बस चले तो मैं आपको काजल लगा के देखूं,
कही आपको मेरी नजर ना लग जाय I"
“निकल आते हैं आँसू गर जरा सी चूक हो जाये,
किसी की आँख में काजल लगाना खेल थोड़े ही है।”
सुरमई शाम का काजल लगा के रात आई है,
पलकें यूँ झुकीं हैं मानों चाँद पर बदरी छाई है!