एक तो कातिल सी नज़र
ऊपर से काजल का कहर
बाल भी खुले थे उसके, काजल भी लगा रखा था
उसके झुमके ने तो अलग ही उधम मचा रखा था
हँसना हसाना काम है मेरा
इसलिए तो काजल नाम है मेरा
और खूबसूरत बन जाती हे तेरे आने से शाम
फिजा भी रंग बदलती हे जब तू आँखों में काजल लगाती हे।
बे-ख़्वाबी कब छुप सकती है काजल से भी,
जागने वाली आँख में लाली रह जाती है!
फिर लगेगी नजर उस पगली को,
देखो आज वो फिर से काजल लगाना भूल गई।