आशियानें बनाएं भी तो
कहाँ बनाएं जनाब
जमीनें महंगी हो गयी
दिल में कोई जगह देता नहीं
बड़े खुशकिस्मत होते वे लोग जिन्हे
"समय" और "समझ" दोनों एक साथ मिलती है
क्यूंकि अक्सर "समय" पर "समझ" नहीं आती
और जब "समझ" आती है तो "समय" हाथ से
निकल जाता है
सीढ़िया उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है|मेरी मंजिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है|
लोग जब अनपढ थे तो परिवार एक हुआ करते थेमैंने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े लिखे लोग ही देखे है|