ॐ में ही आस्था हैं,
ॐ में ही विश्वास हैं,
ॐ में ही शक्ति हैं,
ॐ में ही संसार,
ॐ से होती हैं
अच्छे दिन की शुरूआत.
हर ओर सत्यम-शिवम-सुन्दरम,
हर हृदय में हर-हर हैं,
जड़ चेतन में अभिव्यक्त सतत
कंकर-कंकर में शंकर हैं.
शंकर की ज्योति से नूर मिलता है
भक्तो के दिलों को सुकून मिलता है
शिव के द्वार आता है जो भी
सबको फल ज़रूर मिलता है!
तू ही पर्वत तू ही कंकर,
तू ही शांत तू ही भयंकर,
रण में रूद्र घरों में शंकर।
हर हर महादेव
फीकी पड़ी इस जिंदगी को थोड़ा
रंगीन करने आया हूं जल धारने आज स्वयं
बाबा धाम आया हूं! हर हर महादेव
ना पूछो मुझसे मेरी पहचान…
मैं तो भस्मधारी हूँ …
भस्म से होता जिनका श्रृंगार मैं उस महाकाल का पुजारी हूँ …
” हर हर महादेव “