मैंने कई बार की प्रार्थनापर ईश्वर सेमाँगा नहीं कभी कुछमुझे लगता हैवो जानता है...हमारे लिए क्या सही हैऔर क्या ग़लत..
वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता
मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई
हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे.
देखो रात फिर आ गयी
गुड नाईट कहने की बात फिर आ गयी
हम बैठे थे सितारों की पनाह में
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गयी
Good Night Dear