देखे चाँद ना सूरज ,ये दिल बस तेरा मुरीद जो गया lजो हुए जब-जब तुम्हारे दीद,वो हर लम्हा मेरे लिए ईद हो गया l
श्याम तेरी बंसी पागल कर जाती है,बोल तेरी मीठी घायल कर जाती है lवो गोरे होते तो क्या होते,सांवले रंग पे ही दुनिया मर जाती है l
बड़ी मासूम सी लगती है,ये कार्तिक की भोर lलगता है ओढे आई एक चादर,मन लगता नाचे जैसे मोर l
साथ रहने की क़ीमत,क्या चुकाता,बे-मोल को कैसे,मिलता कोई अनमोल...
दुःख का एक लम्हा किसी के पास न आये