एक तरफ तेरी बढ़ेगी नराजगी,और एक तरफ बेचैनी मेरी lएक बार लगेगा की फासला बढ़ रहा,और फिर लगेगा कितने करीब है रहा l
माँ की सी मुझे नज़र दे ऐ खुदाकि ज़माना मुझे फिर बुरा न लगे।
"सारी दुनियाँ के फेसबुक पे, रंगीन तस्वीर,एक दिन में, एक युग का आलम बताते रहे,वो अपनी खबर की कोई तस्वीर बता देती,ये सोच के हम कई बार फोन उठाते रहे l"
कब तक उसे सोचूंगा, कब तक गाऊंगा,ये मुमकिन हो,वो मेरी हो जाए तो क्या होगा,उसकी याद में पिघलता हूँ, वैसे ही रात भर,नींद से जागूंगा तो, आगोश में सो जाऊँगा l
"बड़ी आरजू होती है किमिलकर तुमसे ये-वो कहेंगे,और हर बार उलझ जाते है,आँखों में और बात भूल जाते है l"
इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरीलोग तुझ को मेरा महबूब समझते होंगे l