कुछ कस्में हैं जो हम आज भी निभा रहे हैं,
तुम्हें चाहते थे और तुम्हें ही चाह रहे हैं!
अपनी कलम से “दिल से दिल” तक की बात करते हो,
सीधे-सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार करते हो.
मोहब्बत इतनी कि उसके सिवा कोई और ना भाए
इंतज़ार इतना कि मिट जाए पर किसी और को ना चाहे !
हम वो नहीं की भूल जाया करते हैं,
हम वो नहीं जो निभाया करते हैं,
दूर रहकर मिलना सायद मुस्किल हो,
पर याद करके सांसो में बस जाया करते हैं.
हर वक्त फिजाओं में महसूस करोगे तुम
मैं प्यार की खशबू हूँ महकूँगी जमाने तक
मै खुद लिखता हूँ मोहब्बत
तुम आइने को संवार लो
मै अपनी खुशबु बिखेर देता हूँ
तुम अपनी जुल्फों को सवार लो