कबूल हो गई हर दुआ हमारी, मिल जो गई हमें चाहत तुम्हारी, अब नही चाहत है दिल में हमारे कुछ, जब से मिल गई है मोहब्बत तुम्हारी !
सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें
सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद