न जिद है न कोई गुरूर है हमे,बस तुम्हे पाने का सुरूर है हमे,इश्क गुनाह है तो गलती की हमने,सजा जो भी हो मंजूर है हमे…
फिजा में महकती शाम हो तुम,प्यार में झलकता जाम हो तुम
सीने में छुपाये फिरते हैं हम यादें तुम्हारी
इसलिए मेरी जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम
इश्क़ है या इबादत
अब कुछ समझ नहीं आता,
एक खूबसूरत ख्याल हो तुम
जो दिल से नहीं जाता।
वो बेवफा न था यूँ ही बदनाम हो गया 'फ़राज़'
हजारों चाहने वाले थे वो किस किस से वफ़ा करते