"वो बार-बार DP बदल कर लगाते है,उन्हें पता ही नहीं,वो कितने खूबसूरत नज़र आते है,हर बार महज बदलते है कपड़े,दिल तो वही, सुन्दर सा लाते है l
अब ज़िंदगी तेरे दिल में गुजारनी है,तो मुझे ये गुनाह भी कबूल है,सज़ा साल, दो साल का मत रखनाताउम्र ही मेरी मोह्हबत का मूल है l
Pyar Bhari shayari
सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता
मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई
हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे.