बहुत कुछ कहना था,पर कैसे और क्या,ये समझ नहीं आया,तो हाँथ पकड़,उसने कहा 'बस',मैने भी साँसे रोक,ज़रा जोर से दबा दिया l
"अखिल प्रेम की कल्पना है यही,प्रेम की है जग में, सत्या जो सही,मौन की अपनी भाषा, होती प्रिय,प्रेम की बात तो, प्रेम से ही कही l"
जो बेइन्तिहाँ चाहत से रूह में उतर जाये
सिर्फ वही मोहब्बत में माहिर है..
जिसे पाया ना जा सके वो जनाब हो तुम
मेरी जिंदगी का पहला ख्वाब हो तुम
लोग चाहे कुछ भी कहे लेकिन,
मेरी जिंदगी का एक सुन्दर सा गुलाब हो तुम
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले