तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,कुछ इस क़दर हमे खुद से मोहब्बत होने लगी।
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस क़दर हमे खुद से मोहब्बत होने लगी।
"रो देती है हर बार जब आँगन से जुदा होती है,बेटियांँ एक बार नहीं कई बार विदा होती है।।"
पता नहीं कितना अंधकार था मुझमें,मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में बीत गया ।
बहुत शोर है आज हवाओं में,पीछे ना जाने, नुकसान कितना है,उड़ा जाता मन द्वन्द तो लगता,संभालना खुद को आसान कितना है l
"बहुत राहत है, तुम्हारे ख्यालों में,उसके आहट से भी ग़म दूर होते है l"
Pyar Bhari shayari