इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
दवा असर ना करे
तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब
वो कहाँ हार मानती है |
इस बात से अभी तक कई इंसान अनजान है,
मां सिर्फ मां नहीं एक वरदान है।
एक हस्ती है जो जान है मेरी,
जो जान से भी बढ़ कर शान हे मेरी,
रब हुक्म दे तो कर दू सजदा उसे,
क्यूँ की वो कोई और नही
माँ है मेरी
घूमी है दुनिया देखे है मंदिर – मस्जिद,मां से तो शुरु धर्म के सारे स्थान भी है,माँ तेरे क़दमों में मेरी जन्नत और मेरा सम्मान भी है।
मैं क्यों न लिखूं मेरी माँ पर जिसने मुझें लिखा हैं,
मैंने इस दुनिया में सबसे पहले माँ बोलना ही सीखा हैं।