लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
मैं खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।
मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा!
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।
चीख़ती है चिल्लाती भी है,
रोती भी है बिलखती भी है,
जब मेरी माँ ग़ुस्सा हो जाती है,
तो अपनी आँखों में आँसू लिए चुप-चाप सो जाती है।