हम आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए,
उसकी सिर्फ एक नजर से ही घायल हो गए।
अब क्या लिखूं तेरी तारीफ में मेरे हमदम,अलफ़ाज़ कम पड़ जाते है तेरी मासूमियत देखकर।
मासूमियत तो रग रग में है मेरे,
बस ज़ुबान की ही बद्तमीज़ हूँ…!
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर,
तेरे सामने आने से ज्यादा, तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है!
आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए,
सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए।
वक़्त ने सिख दी हमें होशियारी की,वरना हम तो मासूमियत की हद्द तक मासूम थे