मौत पे भी मुझे यकीन है,
तुम पर भी ऐतबार है,
देखना है पहले कौन आता है,
हमें दोनों का इंतजार है !
इश्क़ ने गालिब निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के !
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो,
हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था !
मुझसे कहती है सादा तेरे साथ राहूंगी ..
बोहोत प्यार करती हैं मुझसे उदासी मेरी !!
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पक्षी को ग़ालिब ..
याद वही आते है जो छोड़कर उड़ जाते है !!