चाहे पूछ लो सवेरे से या शाम से,
ये दिल धड़कता है बस तेरे नाम से !
मैं खुद हैरान हूँ तुमसे इतनी मोहब्बत क्यों है,
मुझे जब भी प्यार शब्द आता है,
चेहरा तुम्हारा ही याद आता है !
ना जाने मुहब्बत में कितने अफसाने बन जाते हैं,
शमां जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते हैं !
तेरे खामोश होंठों पर, मोहब्बत गुनगुनाती है,
तू मेरा है मैं तेरा हूँ, बस यही आवाज़ आती है।
समझता ही नहीं वो मेरे अलफ़ाज़ की गहराई
मैंने हर लफ्ज़ कह दिया जिसे मोहब्बत कहते है…
मोहब्बत का एहसास तो हम दोनों को हुआ था
फर्क सिर्फ इतना था की उसने किया था और मुझे हुआ था