तुम्हें असफल भी होना चाहिए था,हार देती है जीवन में संतुलन और धैर्य ।
कभी मुश्किलें कभी खुशियाँ, यही तो है
जीवन की लड़ियाँ ||
जो तुम्हें सच में चाहेगावो तुमसे कभी कुछ नहीं चाहेगा
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…