भीगते है जिस तरह से तेरी यादों में डूबकर,
इस बारिश में कहां वो कशिश है तेरे
खयालों जैसी..!!
अजीब खेल है ये मोहब्बत का,किसी को हम न मिले|और कोई हमे न मिला|
सुनना चाहते है एक बार आवाज़ आपकी मगर बात करने का बहाना नहीं आता!!!
वो रो रो कर कहती रही मुझे नफरत है तुमसे, मगर एक सवाल आज भी परेशान किये हुए है, की अगर नफरत ही थी तो वो इतना रोई क्यों …