हर किसी के नसीब में
कहां लिखी होती है चाहतें
कुछ लोग दुनिया में आते है सिर्फ
तन्हाइयो के लिए
ना साथ है किसी का ना सहारा है कोईना हम किसी के ना हमारा है कोई
जिंदगी में किसी का साथ काफी है,कंधे पर किसी का हाथ काफी है,दूर होया पास..क्या फर्क पड़ता है...अनमोल रिश्तो का तो बस एहसास काफी है|
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ …. कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत।