मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
खुश रहना तो हमने भी सीख लिया था
उनके बगैर
मुद्द्त बाद उन्होने हाल पूछ के फिर
बेहाल कर दिया..
“अपनों को याद करना प्यार हैं,
गैरों का साथ देना संस्कार हैं,
दुश्मनो को माफ करना उपकार हैं,
और आप जैसे दोस्तों को परेसान करना जन्मसिद्ध अधिकार हैं.”
Diye Hain Zindagi Ne Zaḳhm Aise;Ki Jin Ka Waqt Bhi Marham Nahin Hai!