उसके नैना जैसे नील कमल..
उसका चेहरा जैसे सुबह की किरण..
उस पर ये बाल घनेरी सी..
कर देता है पागल तन मन..
लगता जैसे मैं पिछले जनम से ही उससे मुखातिब हूँ..
शायद लोग तभी कहते ‘आवारा आशिक़’ हूँ.
कितनी जल्दी ये शाम आ गई;
गुड नाईट कहने की बात याद आ गई;
हम तो बैठे थे सितारों की महफ़िल में;
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गई.
“ना वो आ सके ना हम कभी जा सके,
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके.
बस बैठे है यादों में उनकी,
ना उन्होंने याद किया और ना हम उनको भुला सके.”
Na Waqif The Hum Chahat K Asulon Se, Is Liye Barbaad Huye…..
Na Usne Apna Banaya Na Kisi Aur K Qabil Chodha..
तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती,नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती,तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है,फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती.