गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका
ए दिल ,चल एक सौदा करते हैं ,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ देता हूँ ,
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे …
Har aankh yahan yun to bahut roti he,
har boond magar ashk nahi hoti he,
par dekh k ro de jo zamaane ka gam,
us aankh se aansu jo gire moti he…
Tujhse banti bhi nhi,
tere bina chalti bhi nhi..
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है,कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है.जो मुझे तुझसे जुदा करती है,हाथ की उस लकीर से डर लगता है!
काश उन्हें चाहने का अरमान नही होता,में होश में होकर भी अंजान नही होता,ये प्यार ना होता, किसी पत्थर दिल से,या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता!