निगाहें
कहाँ तक चुराओगे,
किस्मत में होगे तो एक दिन
मिल ही जाओगे !!
निगाह ए इश्क़ का अजीब ही शौक देखा,
तुम ही को देखा और बेपनाह देखा!
कीजिए अपनी निगाहों को एक चेहरे पर पाबंद…
यूं हर सूरत पर मिट जाना लानत- ए -वफा होती है!!
वो काफ़िर-निगाहें ख़ुदा की पनाह,
जिधर फिर गईं फ़ैसला हो गया!