निगाहें जब भी तेरी
झलक दिखाती है हमें,
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र
आती है हमें !!
वो काफ़िर-निगाहें ख़ुदा की पनाह,
जिधर फिर गईं फ़ैसला हो गया!