अज़ीज़ भी वो है,
नसीब भी वो है ,
दुनिया की भीड़ में
करीब भी वो है
उनकी दुआ से चलती है ज़िन्दगी
क्यों की खुदा भी वो है ,
और तक़दीर भी वो है
“प्यारे पापा, सच्चे पापा…
बच्चों के संग,, बच्चे पापा…
करते हैं पूरी हर इच्छा
मेरे सबसे अच्छे पापा “
मुझे मोहब्बत है,अपने हाथ की सब उंगलियों से,
ना जाने किस उंगली को पकड़ के पापा ने चलना सिखाया होगा!
पिता के होने से घर में कोई गम नहीं,
अगर मां अतुलनीय है तो पिता भी कम नहीं।
मुझे रख दिया छाँव में खुद जलते रहे धूप में,
मैंने देखा है ऐसा एक फरिश्ता अपने पिता के रूप में।