मैंने कई बार की प्रार्थनापर ईश्वर सेमाँगा नहीं कभी कुछमुझे लगता हैवो जानता है...हमारे लिए क्या सही हैऔर क्या ग़लत..
हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम,तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करे हम lनहीं परवाह दुनिया को हमारी,दुनिया की परवाह क्यों करें हम l
बहुत कुछ कहना था,पर कैसे और क्या,ये समझ नहीं आया,तो हाँथ पकड़,उसने कहा 'बस',मैने भी साँसे रोक,ज़रा जोर से दबा दिया l
वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़