कैसे बदल दूं मैं फितरत ये अपनी,मुझे तुम्हें सोचते रहने की आदत सी हो गई है..!!
पल पल से बनता है एहसास,एहसास से बनता है विश्वास,विश्वास से बनते हैं कुछ रिश्ते,और उन रिश्तों से बनता है कोई खास।
तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है,एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती हैपहले नहीं अब सोचने लगे है हम की,जिंदगी के हर लम्हे में तेरी ज़रूरत सी लगती है..
मोहब्बत का कोई इरादा तो नहीं था ऐ दिलनशी पर देखी जो तेरी अदा तो नियत ही बदल गयी|