कभी कभी वक़्त के साथ सब ठीक
नहीं सब ख़तम हो जाता है...
काशी कबहु ना छोड़िए, विश्वनाथ का धाम..मरने पर गंगा मिले, जियते लंगड़ा आम..
शांत मन समंदर कभी बहक जाता है,कुछ बूँद आँखों से छलक जाता है lबर्फ के पिघलने से सैलाब नहीं आती,आँसू से पत्थर भी पिघल जाता है l
तुमसे मिलके होते होंगे,कितने पूरे,मैं तुमसे मिलकर दुगना हो गया lएक जहान का होता था पहले,अब दो जहान का हो गया l
रात का अंतिम ख्याल,सुबह की प्रार्थना सा,साथ रहती हो तुम l'हाँ' सपनों में नहीं आती,मुझे कभी-कभी सोने,भी नहीं देती हो तुम l
अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ परसो जाऊं तो उठा देती हैं जाग जाऊँ तो रुला देती है