नहीं बस्ती किसी और की सूरत अब इन आँखों में
काश की हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता |
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
बहुत खुबसूरत होते है ऐसे रिश्ते, जिन पर कोई हक़ भी ना हो और शक भी ना हो|