ज़िंदगी खेल हैं शतरंज का,
तुम्हें कब, कौन और कहाँ मात दे दे क्या पता !
“हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं..
वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा...”
Aaj Ka Suvichar
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
अपनी छवि का ध्यान रखें
क्यूंकि इसकी आयु आपकी आयु से कहीं ज्यादा होती है
आहिस्ता आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..