देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के,
आगाज़ भी रुस्वाई अंज़ाम भी रुस्वाई!
मेरे सनम आज तबाही होगी,
तेरे इश्क की रुसवाई होगी,,
पेश करूँगा तेरी वफा को इमरोज़,,
आज अरसो में बेवफा की सुनवाई होगी।
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत केआग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई
लगता हैं इन हवाओं में रुसवाई मिल गयी हैं,तन्हाई मेरी किस्मत में लिख दी गयी हैं,पहले यकीन हुआ करता था,अब दिल को तस्सली देनी पड़ती हैं कि तुम मेरे हो।
कितने तोहफे देती है ये मोहब्बत भी,रुसवाई अलग, जुदाई अलग, तन्हाई अलग।
हर ख्वाहिश को इस कदर मत तोड़ो,भले रुसवा रहो मुझसे पर साथ न छोड़ो.