कुछ तुम रूठे, कुछ मैं रूठी,
बात हो गई रुसवाई की!
ना तुम समझे, न मैं मानी,
वजह बन गई तन्हाई की!!
मेरे सनम आज तबाही होगी,
तेरे इश्क की रुसवाई होगी,,
पेश करूँगा तेरी वफा को इमरोज़,,
आज अरसो में बेवफा की सुनवाई होगी।
दफ़अतन तर्क-ए-तअल्लुक़ में भी रुस्वाई है
उलझे दामन को छुड़ाते नहीं झटका दे कर