मौसम था बेकरार तुम्हें सोचते रहे,कल रात बार बार तुम्हें सोचते रहेबारिश हुई तो लग कर घर के दरवाजे से हमचुप चाप बेकरार तुम्हें सोचते रहे...
हजारो गम है सीने मे मगर शिकवा करें किससे… इधर दिल है तो अपना है… उधर तुम हो तो अपने हो…