Waqt ki ek aadat
Bahut acchi hai,
Jaiha bhi ho,guzar jata hai.
रहने दो अब के तुम भी मुझे पढ ना सकोगे बरसात में कागज की तरह भीग गया हु..
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं|
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे...