बनके सावन कहीं वो बरसते रहे
इक घटा के लिए हम तरसते रहे
आस्तीनों के साये में पाला जिन्हें
साँप बनकर वही रोज डसते रहे
फूल से दोस्ती करोगे तो महक जाओगे
सावन से दोस्ती करोगे तो भीग जाओगे
हमसे करोगे तो बिगड़ जाओगे
और नहीं करोगे तो किधर जाओगे
सावन के महीने में भीगे थे हम साथ में,अब बिन मौसम भीग रहे है तेरी याद में.
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरेकरवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी.
तुम्हे सावन पसंद है... मुझे सावन में तुम,
तुमको भीगना पसंद है... मुझे भीगते हए तुम,
तुमको बारिश पसंद है... मुझे बारिश में तुम,
तुझको सब कुछ पसंद है... और मुझे बास तुम.