आँखें मेरी सावन की तरह बरसती है,
उसे एक बार जी भरकर देखने को तरसती है.
मालूम है ये सावन अगले बरस भी आएगा,
पर तुम अभी आ जाओगे तो क्या बिगड़ जायेगा।
वो तेरा शरमा के मुझसे यूँ लिपट जाना
कसम से हर महीने में सावन सा अहसास देता है
जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह
याद आयेंगे पहले प्यार के चुम्बन की तरह
सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँअपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ
Happy Sawan