एक तुम ही थे जो मिल ना सकेवरनामिलने वाले तो बिछड़ बिछड़ के मिले....
किस कदर अनजान है यह सिलसिला -ए-इश्क भी,मोहब्बत तो कायम रहती है मगर इंसान टूट जाते है!
सिर्फ इतना ही कहा है, प्यार है तुमसे,जज्बातों की कोई नुमाईश नहीं की,प्यार के बदले सिर्फ प्यार मांगती हूँ,रिश्ते की तो कोई गुज़ारिश ही नहीं की..