गम में हँसने वाले को रूलाया नहीं जाता,
लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता,
होने वाले हो जाते हैं खुद ही अपने,
किसी को कहकर अपना बनाया नहीं जाता.
घर में भी दिल नहीं लग रहा, काम पर भी नहीं जा रहाजाने क्या ख़ौफ़ है जो तुझे चूम कर भी नहीं जा रहा।
रात के तीन बजने को हैं, यार ये कैसा महबूब है?जो गले भी नहीं लग रहा और घर भी नहीं जा रहा।
सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर,
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो।