चर्चा हो रही थी मोहब्बत लिखने वालो की,
स्याही भटक गई तेरा नाम लिखते लिखते..
कितनी हसीं थी वो मोहोब्बत बचपन की, मेरे ना देखने पर सबसे रूठ जाती थी वो!!
मैंने कब कहा तू मुझे गुलाब दे...
या फिर अपनी मोहब्बत से नवाज़ दे...
आज बहुत उदास है मन मेरा.....
गैर बनके ही सही तू बस मुझे आवाज़ दे...!!
मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है, जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं…
मेरे आँखों के ख्वाब, दिल के अरमान हो तुम, तुम से ही तो मैं हूँ , मेरी पहचान हो तुम, मैं ज़मीन हूँ अगर तो मेरे आसमान हो तुम, सच मानो मेरे लिए तो सारा जहां हो तुम।