तुम छुपाते जरूर हो मुझसे पर तेरी आंखें बोल देती है
तुम्हारे दिल के सारे राज मेरे सामने खोल देती है !!
वो कहने लगी नकाब में भी पहचान लेते हो
हजारों के बीच मैंने मुस्करा के कहा तेरी
आँखों से ही शुरू हुआ था इश्क हज़ारों के बीच !!
कभी तो मेरी आंखें
पढ़ लिया करो
इनमे तुम्हारा
इश्क नजर आता है..!
कैद खानें हैं... बिन सलाखों के,
कुछ यूँ चर्चे हैं तुम्हारी आँखों के।
"वो नकाब लगा कर खुद को,
इश्क से महफूज समझते रहे ,
नादां इतना भी नहीं समझते कि ,
इश्क चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है..❗"
मुस्कुरा के देखा तो कलेजे में चुभ गयी,
खंज़र से भी तेज़ लगती हैं आँखें जनाब की।