चौदहवीं रात के इस चाँद तलेसुरमई रात में साहिल के क़रीब दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो,कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू,सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
ना साथ है किसी का ना सहारा है कोईना हम किसी के ना हमारा है कोई
उसके बाद हमने ना रखी किसी से मोहब्बत की आस, क्योकि एक तजुर्बा ही था हमारे लिए बहुत खास.
Insaan zindagi mein galtiya karke utna dukhi nahi hotajitna ki bar bar un galtiyo ke barein mein soch kar hota hai.....