न चांद होगा ना तारे होंगे,क्या हम इस साल भी कुंवारे होंगे ,इस दुनिया में कितनों के निकाह हो गए ,क्या हमारे नसीब में सिर्फ निकाह के छुहारे होंगे।
होने लगा है हिसाब, नफे और नुकसान का ....मासूम सी मोहब्ब़त, व्यापार हो गई ...!!
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा,जिन्हें दावा था वफ़ा का,उन्हें भी हमने बेवफा देखा..
टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी|
जाने उस शख्स को कैसे ये हुनर आता है,रात होती है तो आंखो में उतर आता है,मैं उस के ख्यालो से बच के कहाँ जाऊ,वो मेरी सोच के हर रास्ते पे नज़र आता है.
ज़रा सी रंजिश पर ,ना छोड़,किसी अपने का दामनज़िंदगी बीत जाती हैअपनो को अपना बनाने में..!