गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका
अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो,
हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं.
Door kahin meri nazro se rahti hai wo,
har lamha mere khayalo me rahti hai wo.
Kaisi hai wo, kis haal me hai wo,
dil ke mere har sawaal me rahti hai wo.
Tujhse banti bhi nhi,
tere bina chalti bhi nhi..
Ab mera haal chaal nahin poochhate ho to kya hua,
Kal ek-ek se poochhoge ki use hua kya tha.
काश उन्हें चाहने का अरमान नही होता,में होश में होकर भी अंजान नही होता,ये प्यार ना होता, किसी पत्थर दिल से,या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता!