लबो से चाहत की खुशबू चुराने दो
बहुत हो गया सितम, अब तो पास आने दो..
बिन बात के ही रूठने की आदत है,किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,आप खुश रहें, मेरा क्या है..मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
ये कैसा नशा है, मै किस खुमार में हु.तू आके जा भी चुका है ,और मै अब भी इंतज़ार में हु....
रफ्तार जिंदगी की कुछ यू बनाये रखिये दुश्मन कोई आगे ना निकल पाये और दोस्त कोई पीछे छूट ना जाये...
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। - हरिवंशराय बच्चन