सितम करने की आदत तुमको सही
हमको भी सहना आता है,
इंतज़ार न कर मेरी आहों का
हमको चुप रहना आता है!
क़ुबूल हमने किए जिस के ग़म ख़ुशी की तरह
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद,अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद।
सह के तेरे सारे सितम पत्थर से हो गए हमअब तू चाहे लाख ठुकराए या अपनाये, कभी लौट के न आएंगे हम
ना पूछो सितम सनम के और सितमगर का लहजा, दिल से आती है आवाज, सह जा , ये भी सह जा!
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको,हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं……!!