सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी यहीं परछाइयां हमने!
टूट कर एक तारा दूसरों के ख्वाब पूरी करता हैं,फिर भी तारों की कोई मिशाल नहीं देता हैं.
बहुत दिन बाद छत से तारों को निहारता रहा,सारे गम भुलाकर बचपन का इश्क़ फरमाता रहा.
रात है, चाँद है, संग चाँदनी सितारे भी फलक पे हैं!!बस एक नींद नहीं आँखों में, तेरी यादें पलक पे हैं!!
आसमां में सितारों को तलाशना चाहती हूं,
गुमशुदा तारों में एक चेहरा तराशना चाहती हूं..
यूँ न कहो मैं तुम्हें अकेला छोड़ जा रही हूँ
ये सितारे तुम्हें साथ दे जा रही हूँ,,