मुझे शिकवा नहीं
तेरे एक भी अल्फ़ाज़ का।
माफ़ कर दे ये उम्मीद है
इतना तो हक है, इस दोस्त का।
I am really very sorry
कितने वक़्त को हमने
मिलके हसीन बनाया था।
टूटे ख्वाबों को भी
मिलके सजाया था।
उन्हीं का वास्ता, मान जाओ
गुस्सा छोड़ दो और लौट आओ।
मिलने को जिससे आंखे तरसती है
पलकें जिसके लिए रोज सजती है।
वो शक्स ही मुझसे रूठा बैठा है
बाहें रोज जिसका इंतजार करती हैं।
कैसे आपको हम मनाये बस एक बार बता दो,
मेरी गलती मेरा कसूर मुझे याद दिला दो !
अपने अतीत को एक चिट्ठी लिखना चाहता हूँ,
की गयी गलतियों की माफी लिखना चाहता हूँ।
अब तुम्हारे सॉरी का इंतज़ार नहीं होता,
सोचता हूँ मैं ही कह दूँ तुम्हें ” थैंक यू “।