गुरू बिना ज्ञान कहाँ,उसके ज्ञान का न अंत यहाँ,गुरू ने दी शिक्षा जहाँ,उठी शिष्टाचार की मूरत वहां।
शांति का पढ़ाया पाठ, अज्ञान का मिटाया अंधकार,
गुरू ने सिखाया हमें, नफरत पर विजय है प्यार।
खींचता था आड़ी टेढ़ी लकीरे
आपने मुझे कलम चलाना सिखाया
ज्ञान का दीप जला मन में
मेरे ज्ञान के तमस को मिटाया